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रहस्यमाई चश्मा भाग - 61





मर्मत की एक एक बात मर्मत के दिमाग मे ऐसे घूम रही थी जैसे कि वह स्वंय सभी घटनाओं का प्रत्यक्षदर्शियों में एक हो उसकी आत्मा बार बार उसे दिक्कर रही थी कि उसे नत्थू कि साजिस का हिस्सा नही बनाना चाहिये लेकिन अब उसके सामने विकल्प नही था था तो सिर्फ नत्थू के निर्देशों के अनुसार चलना उसने भी अपनी किस्मत को भगवान भरोसे छोड़ दिया और सुबह होने का इंतज़ार करने लगा।
रात्रि के तीन बजे सिंद्धान्त गहरी निद्रा में सोया हुआ था तभी दरवान ने दरवाजा खटखटाया सिंद्धान्त उठा और दरवान मौजु लाल से पूछा कि क्या बात है मौजु ने बताया साहब कुछ लोग आपसे इसी समय मिलना चाहते है,,,,,



 सिंद्धान्त ने पूछा कौन लोग है तब मौजु लाल ने बताता कि कर्दब जग्गू इमिरीतिया महादेव रघु चिंता सिंद्धान्त बोला ठिक है भेजो सभी को जग्गू इमिरीतिया चिंता महादेव रघु सिंद्धान्त को देखते ही सभी ने धीरे से कहा सिंद्धान्त बाबू हम लोग आपसे अकेले में बंद कमरे में बात करना चाहते है सिंद्धान्त बोला ऐसी कौन सी बात है जिसे बन्द कमरे में और एकांत में करनी है जब सभी ने याचना करते हुए जिद्द किया तब सिंद्धान्त जग्गू इमिरीतिया कर्दब रघु महादेव चिंता को एक कमरे में ले गया और कमरा बाहर से बंद कर दिया तब कर्दब ने कहा सिंद्धान्त बाबू हम लोगो के पीछे तूफानी और भद्र को नत्थू ने लगा रखा था,,,,,


हम लोग मंगलम चौधरीं साहब से मिलने गए थे चौधरीं साहब तो देवता है जिन्होंने कुछ नही सुना सिर्फ इतना ही कहा तुम लोग अपना ख्याल रखना ज्यो ही हम लोग चौधरीं साहब कि हवेली से बाहर निकले रघु चिंता और महादेव ने बताया कि नत्थू को तुम लोगो पर शक हो गया है कि तुम लोगो ने उससे बगावत कर उसके खिलाफ मंगलम चौधरीं को उसके सभी राज बता दिया है इसीलिये उसने हम लोंगो को मारने की जिम्मेदारी अपने खास आदमीयों ज्वाला अंगार तीखा सुलखान को दे रखी है,,,,,,



 वे चारों हम लोंगो के पीछे भूखे भेड़िए कि तरह पीछे पड़े है हम लोग छिपते छिपाते भागते किसी तरह आप तक पहुंचे है और शायद फिर मुलाकात ही ना हो पाए इसलिये हम सभी आपको सच्चाई बता देना चाहते है जो मरने से पहले नत्थू के गुनाहों में सम्मिलित रहने के पाप के बोझ को कुछ हल्का करेगा और मरने के बाद सुकून क्योकि हम लोग भागते भागते तक चुके है और अब बहुत दिनों तक नत्थु के कहर से बच पाना सम्भव नही है सिंद्धान्त बड़ी गम्भहिरता से महादेव चिंता रघु जग्गू इमिरीतिया कि बातों को सुन रहा था सिंद्धान्त बोला कि क्या राज नत्थू का है जिसे बताना चाहते है आप लोग इमिरीतिया बोली सिंद्धान्त बॉबू मैं अब साठ पार कर चुकी हूँ,,,,,,




जब मैं व्याहकर आयी थी जग्गू के घर उस वक्त मेरी उमर पंद्रह बरस रही होगी दस बरस बाद सुबह जब हम सुबह बाहर जा रहे थे खेत की तरफ एक औरत के चीखने की आवाज सुनी औरत बैलगाड़ी में थी और गाड़ीवान खुद था नत्थू जब भी वह चीखती नत्थू उंसे बहुत गरियाता मैं जब बैलगाड़ी के पास गई तब आधा बच्चा बाहर आधा बच्चा पेट के अंदर और नाल में बुरी तरह फंसा हुआ ऐसी स्थिति में जच्चा बच्चा दोनों का बचना मुश्किल होता है लेकिन ऊपर वाले कि महिमा की क्या कब किस पर मेहरबान हो जाय कौन जनता है मुझे भी बच्चा पैदा कराने का कोई तजुर्बा नही था डोमिन हूँ पीहर में कभी कभार माई के साथ चली जाती थी जो कुछ माई के साथ देखा सीखा था दिमाग लगाया बच्चा तो बाहर आ गया नाल काटी पतहर से तभी जग्गू की बीबी ने अपने बच्चे को एक नज़र देखा और दम तोड़ दिया,,,,,,


नत्थू ने मुझे भगा दिया और अपनी मरी बीबी को घसीटते हुए दूर झाड़ियों में ऐसी जगह छोड़ आया जाहा कोई आता जाता नही है और बच्चे को लेकर चौधरीं साहब की हवेली के सामने और मंदिर के बीच रास्ते मे पड़े कचड़े में छोड़ आया सभी दृश्यों एव घटनाओं को मैने जग्गू के द्वारा भगाए जाने के बाद छिप छिप कर देखा तब तक सुबह हो चुकी थी ठंढी कि रात थी सारी घटना रात्रि तीन बजे से शुरू हुई और छः बजे तक चली नत्थू की बीबी को गिद्ध चील कौवे खाते रहे तीसरे दिन पुलिस आयी और लावारिस मानकर केश तो दर्ज किया लेकिन कुछ भी आज तक नही हुआ,,,,,,,,



सिंद्धान्त ने क्रोधित होते हुए कहा यह कहानी मुझे क्यो सुना रही हो इमिरीतिया बोली सिंद्धान्त बॉबू आपने ध्यान नही दिया नत्थू ने अपने नवजात को चौधरीं साहब कि हवेली के सामने मंदिर के रास्ते मे कचरे के ढेर में छोड़ा था जिस रास्ते से चौधरीं साहब प्रतिदिन सुबह उठते ही जाते है उस दिन भी गए और लौटे कचरे के उस बच्चे को गोद मे लिए सिंद्धान्त बॉबू आप वहीं बच्चा है जिसे इमिरीतिया डोमिन ने इस दुनियां में लायी नही तो अपनी माँ की तरह ही आपका भी हाल होता सिंद्धान्त तो ऐसा शर्मशार हुआ जैसे वह नहा गया हो जाने कितने घड़े पानी से फिर कर्दब ने नत्थू कि भावी मंगलम चौधरीं विनाश योजना का विस्तार से हल बया किया रघु महादेव जग्गू चिंता ने अपनी अपनी जानकारी के अनुसार सिंद्धान्त को जानकारी नत्थू कि साजिशों की उपलब्ध कराई मैजूलाल ने फिर दरवाजा खटखटाया और बोला मॉलिक सुल्तान दूसरे दरवान आ चुका है हम जा रहे है,,,,,,,




सिंद्धान्त ने महादेव रघु चिंता जग्गू इमिरीतिया के छिपने के लिए पनाह की व्यवस्था किया और सो गया ज्यो ही वह सोने के लिए गया सुलखान ज्वाला अंगार तीखा नत्थू के नत्थू के पास पहुंचे और बोले उस्ताद जग्गू इमिरीतिया महादेव चिंता कर्दब रघु तो नही मिले तूफानी भद्र को पता नही जमीन खा गई या आसमान निगल गया नत्थु आबे से बाहर होता बोला कम्वक्तों तुम लोंगो से एक काम नही होता और डींगें बहुत मारते हो लेकिन खुद पर काबू रखते हुए बोला तुम लोग अभी आराम करो और हम बताएंगे क्या होना है और वह बेचैनी से इधर उधर ऐसे घूमने लगा जैसे कोई मानसिक विक्षिप्त सुबह नौ बजे भागा भागा


जारी है 


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3 Comments

Babita patel

05-Sep-2023 12:27 PM

Nice

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KALPANA SINHA

05-Sep-2023 12:12 PM

Amazing

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